shri Surya Yantra

सूर्य यंत्र का प्रयोग सामान्यतया किसी कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहे सूर्य के अशुभ...
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सूर्य यंत्र का प्रयोग सामान्यतया किसी कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहे सूर्य के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है। सूर्य यंत्र का प्रयोग किसी कुंडली में शुभ रूप से काम कर रहे सूर्य के को अतिरिक्त बल प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जिससे जातक को अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सके हालांकि किसी कुंडली में शुभ रूप से कार्य कर रहे सूर्य को अतिरिक्त बल प्रदान करने के लिए सूर्य ग्रह का रत्न माणिक्य धारण करना सूर्य यंत्र की अपेक्षा अधिक प्रभावी उपाय है। सूर्य यंत्र अपने जातक को सूर्य की सामान्य विशेषताओं से प्राप्त होने वाले लाभ प्रदान करने में सक्षम होता है जिसके चलते इस यंत्र को स्थापित करने वाले जातक को अपने कार्यक्षेत्र में कार्यरत अपने से उपरी पद के व्यक्तियों से लाभ प्राप्त हो सकता है। सूर्य यंत्र जातक को सरकार की ओर से प्राप्त होने वाले लाभ प्रदान करने में भी सक्षम होता है जिसके चलते इस यंत्र को स्थापित करना उन जातकों के लिए एक अच्छा सामान्य उपाय हो सकता है जो सरकार अथवा न्यायालयों से जुड़े किसी प्रकार के झगड़ों अथवा शिकायतों का सामना कर रहे हों क्योंकि विधिवत बनाया तथा स्थापित किया गया सूर्य यंत्र सरकारी पक्ष से आने वाले निर्णयों को जातक के पक्ष में मोड़ सकता है। सूर्य यंत्र को स्थापित करना ऐसे बहुत से जातकों के लिए भी एक अच्छा उपाय सिद्ध हो सकता है जो किसी सरकारी कार्यालय में अपनी नौकरी का आवेदन करना चाहते हैं क्योंकि यह यंत्र सरकार से जातक को प्राप्त होने वाली नौकरी की संभावनाएं बढ़ा सकता है।

 जैसा कि हम जानते हैं कि सूर्य किसी भी जन्म कुंडली में एक अति महत्वपूर्ण ग्रह होता है तथा किसी भी कुंडली में सूर्य के एक अथवा एक से अधिक अशुभ ग्रहों के प्रभाव में आ जाने से कुंडली में पित्र दोष का निर्माण हो जाता है जिसके चलते जातक को सूर्य की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं से संबंधित हानि हो सकती है। पित्र दोष के निवारण के लिए सूर्य यंत्र को स्थापित करना एक अच्छा उपाय है विशेषकर उस स्थिति में जब सूर्य कुंडली में अशुभ अथवा नकारात्मक रूप से काम कर रहा हो। उदाहरण के लिए यदि सूर्य किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहा है तथा इसी सूर्य के कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे केतु के अशुभ प्रभाव में आने के कारण कुंडली में पित्र दोष का निर्माण हो रहा है जिसके कारण जातक को सूर्य की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं से संबंधित हानि हो रही है जैसे कि जातक को पुत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है, तो इस स्थिति में सूर्य यंत्र को स्थापित करना पित्र दोष के निवारण के लिए एक अच्छा उपाय है जिसको करने से जातक की जन्म कुंडली में बन रहे पित्र दोष के बुरे प्रभावों का बहुत सीमा तक कम किया जा सकता है। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि उपरोक्त उदाहरण में कुंडली में बन रहे पित्र दोष के निवारण के लिए सूर्य का रत्न माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुंडली में पहले से ही अशुभ रूप से काम कर रहे सूर्य को अतिरिक्त उर्जा प्राप्त हो जाएगी जिसके चलते जातक को कई प्रकार की हानि हो सकती है। इसलिए उपरोक्त उदाहरण में पित्र दोष का निवारण करने के लिए सूर्य यंत्र का प्रयोग करना माणिक्य की अपेक्षा में अच्छा उपाय है। इसी प्रकार सूर्य यंत्र अपने स्थापित करने वाले जातक को उसकी कुंडली में सूर्य के स्वभाव, बल तथा कार्यक्षेत्र के अनुसार विभिन्न प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है जो विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकते हैं।

यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि सूर्य यंत्र को स्थापित करने से प्राप्त होने वाले लाभ किसी जातक को पूर्ण रूप से तभी प्राप्त हो सकते हैं जब जातक द्वारा स्थापित किया जाने वाला सूर्य यंत्र शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा तथा उर्जा संग्रह की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो तथा विधिवत न बनाए गए सूर्य यंत्र को स्थापित करना कोई विशेष लाभ प्रदान करने में सक्षम नहीं होता। शुद्धिकरण के पश्चात सूर्य यंत्र को सूर्य ग्रह के मंत्रो की सहायता से एक विशेष विधि के माध्यम से उर्जा प्रदान की जाती है जो सूर्य ग्रह की शुभ उर्जा के रूप में इस यंत्र में संग्रहित हो जाती है। किसी भी सूर्य यंत्र की वास्तविक शक्ति इस यंत्र को सूर्य मंत्रो द्वारा प्रदान की गई शक्ति के अनुपात में ही होती है तथा इस प्रकार जितने अधिक मंत्रों की शक्ति के साथ किसी सूर्य यंत्र को उर्जा प्रदान की गई हो, उतना ही वह सूर्य यंत्र शक्तिशाली होगा। विभिन्न प्रकार के जातकों की कुंडली के आधार पर तथा उनके द्वारा इच्छित फलों के आधार पर सूर्य यंत्र को उर्जा प्रदान करने वाले मंत्रों की संख्या विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकती है तथा सामान्यतया यह संख्या 11,000 से लेकर 125,000 सूर्य मंत्र के जाप तक होती है जिसके कारण देखने में एक से ही लगने वाले विभिन्न सूर्य यंत्रों की शक्ति तथा मूल्य में बहुत अंतर हो सकता है।

  • Place the Yantra facing the East or the North in a clean and sacred altar.
  • Do not let other people touch the Yantra.
  • Periodically wash the Yantra with rose water or milk. Then, rinse it with water and wipe it to dry. The Yantra’s color may change over a period of time; however this does not dilute the power of the Yantra.
  • Place rounded dots of sandalwood paste on the 4 corners and in the center of the Yantra.
  • Light a candle or ghee lamp and an incense stick in front of the Yantra. You can offer fresh or dry fruits as Prasad, as well.
  • Chant the Mantra above in front of the Yantra, preferably after showering.
India
Size 5x5nch
Condition New
Style spritual
Colour Golden
/
Ruling God / Surya Dev vastu / Sun
Shape Round
Material, Brass
Weight 250gr
  • keep is away from the perfume and chemical
  • Clean It With Soft And Smooth Cloths
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