Baglamukhi Chowki is very important yantra and according to the Hindu mythology, Yantras play an integral part in bringing success and well-being to the people who believe in them. They are usually made of conducting metal such as gold, silver iron or lead because Hindus believe that metal can capture the positive vibrations while conducting the Mantras. There are many different types of Yantras dedicated to different Gods and Goddesses having different purposes.
Shree Baglamukhi Yantra is one of the most powerful Yantra dedicated to Maa Baglamukhi. She is considered to be one of the ten Maha Vidya Goddesses. In North India, she is widely known as Maa Pitambar, the Goddess of Power and Strength. She is also considered to be a very auspicious Goddess, and the processes of her Yantra is mostly performed during the night and in festivals such as Holi, Maha Shivaratri and Diwali. Shree Baglamukhi Yantra’s main purpose is to protect devotees against enemies, accidents, lawsuits and bring success to them in different forms.
1.बगलामुखी यंत्र पूजा | Baglamukhi Yantra Puja
बगलामुखी यंत्र को उपयोग में लाने से पूर्व इसे पंचामृत से स्नान कराया जाना चाहिए. मंदिर में स्थापित कर अष्ठसुगंध या कुन्दा फूल, नारियल, अक्षत हल्दी इत्यादि से पूजा करनी चाहिए. इसकी पूजा में उचित मंत्र जप करना चाहिए तथा यंत्र को अभिमंत्रित किया जाना चाहिए क्योंकि इस प्रक्रिया से यंत्र मे दिव्य शक्ति का संचार होता है.
बगलामुखी यंत्र स्थापना क्रिया रात मे करनी चाहिए इस समय यंत्र की उर्जा अधिक शक्तिशाली और प्रभावी होती है. इसका निर्माण महाशिव रात्रि, होली अथवा दीपावली के दौरान बेहतर होता है. बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता. वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है.
2.बगलामुखी यंत्र निर्माण | Establishment of Baglamukhi Yantra
यंत्र धारण करने से पहले इसे पूर्ण रुप से शुद्ध एवं पवित्र मन द्वारा अभिमंत्रित करना चाहिए इस यंत्र को रक्षा कवच रुप में भी धारण किया जा सकता है. यंत्र को सोने या चांदी की धातु में पहनना चाहिए. यदि यंत्र का निर्माण स्वयं करना हो तो यंत्र के रेखाचित्र बनाने के लिए लाल, पीला या नारंगी रंगों का उपयोग करना चाहिए. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी यंत्र की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए.
3.बगलामुखी यंत्र उपयोग | Use of Baglamukhi Yantra
बगलामुखी यंत्र की नियमित रुप से धूप और दिप प्रज्जवलित कर पूजा करना चाहिए. यंत्र की पूजा पीले वस्त्र धरण कर,पीले आसन पर बैठकर तथा पीले फूलों के साथ की जानी चाहिए. इसे पूजा घर में रखने के साथ साथ गले में भी पहना जा सकता है. यंत्र की पूजा पीले दाने,पीले वस्त्र,पीले आसन पर बैठकर मंत्र जप करते हुए करनी चाहिए. पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.
4.बगलामुखी यंत्र लाभ | Baglamukhi Yantra Benefits
बगलामुखी महायंत्र की शक्ति का उपयोग शत्रु को परास्त और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. बगलामुखी यंत्र विजय प्राप्त करने,कानूनी कार्यवाही, कोर्ट कचहरी और मुकद्दमों में सफलता पाने के लिए किया जाता है. बगलामुखी की साधना में नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है. बगलामुखी साधना के लिए सूर्य मकर राशिस्थ हो, मंगलवार को चतुर्दशी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है. क्योंकि इसी अर्द्धरात्रि के समय देवी श्री बगलामुखी प्रकट हुई थीं. माता के मंत्र जाप में “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”मंत्र का जाप करना चाहिए.
5.बगलामुखी यंत्र का महत्व | Significance of Baglamukhi Yantra
शास्त्रों में देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. अत: बगलामुखी यंत्र का महत्व सर्व उपयोगी होता है. इस यंत्र में मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के समाहीत होती है. इनकी आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं, शत्रु परास्त होते हैं और श्री वृद्धि होती है.